इतने हम आजाद हुए
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कोलाहल में खो गया जीवन का संगीत
कैसे प्रीत की रीत निभाएं कैसे गाएं गीत।
संबंधों के बंधन टूटे मर्यादा की टूटी भीत
टूट गए सब कश्मे वादे कोई बना नहीं पाए मीत।
आजादी हम पचा न पाए इतने हम आजाद हुए
अपनी बनाई नीति पे चलते भूल गए हैं जग की रीत।
जल्दी से हासिल हो सब कुछ सब्र समय है पास कहां
किसी तरह मिल जाए मंजिल कैसे भी पा जाएं जीत।,,,,,
गोपी साजन