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    खुद बयानी मौत की

    *****खुद बयानी मौत की*****
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    मेरा स्वागत इतना अच्छा हो रहा है
    साथ मेरे कितना अच्छा हो रहा है।

    रूह जिंदा है ये तन तो सो रहा है
    होने दो साजन ये जो भी हो रहा है।

    याद है मुझको में बिखरा था कभी
    धक्का देने वालों में थे तुम सभी।

    अपने कंधों पे अब तुम लिए जा रहे हो
    इज्जत हद से ज्यादा दिए जा रहे हो।

    कभी कोई पास ना बैठा न कोई बात की
    अब सभी तारीफ करते हैं था अच्छा आदमी।

    जिंदगी भर दर्द के तोहफे दिए थे
    जख्म जो तुमने दिए हमने सिए थे।

    अब फूल बरसाते हो मेरी राह में 
    तुम तो खुश होते थे हमारीआह में।

    खाक में मिलकर के अब पाएंगे सुकून 
    जाओ अपने घर लगाओ ना हुजूम।,,,, 
                               - गोपी साजन

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