मातृदिवस
माता की महिमा
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माॅं शब्द की महिमा का करें विचार,
अपना सब कुछ त्याग कर पालती परिवार।
ईश्वर भक्ति में तल्लीन जगत सुख संसार,
मातृभक्ति से न बड़ा , कोई सुख आगार ।
पुत्र हित माता सदा ,करती शुभ का नेम,
पंच देव पूजन करें सदा,पुत्र कामना क्षेम,
पुत्र उन्नति देखकर,माॅं का बढ़ता विश्वास,
सदा स्नेह वर्षा करें,ममता का देकर आश,
तन की ओज मिलाकर दे,माता शिशु का रूप,
अपना सब कुछ छोड़कर,बच्चा का बना स्वरूप।
माता का ध्यान रहे,संतति का बढ़ता मान,
प्रौढ़ता में संतति काभी रहता है ध्यान।
माॅं तुम देवी भवानी मेरी, विश्राम हेतू चली,
छोड़ कर भू धरातल , परलोक वास चली।
हर रात माॅं तेरे ममतामय कर स्पर्श अहसास,
वात्सल्य का ऑंचल लहरा, करायेगा तेरा आभास।
माॅं तुझसे मेरी पहचान बनी,शब्द का न बंधन,
कर्मों से मैं तेरा पुत्र कहलाऊंसदा तुझको नमन।
(स्वरचित)
______ डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार