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    मां का स्पर्श

    मां का स्पर्श


    न दवा काम आई, और न दुआ काम आई
    जब भी जरूरत पड़ी तो, मां काम आई 
    मां का स्पर्श होता है, एक दवा की तरह 
    जिसके मिलते ही मिट जाते हैं सारे ज़ख्म
    मां का स्पर्श होता है, उस दुआ की तरह
    जिसके लगते ही दूर हो जाते हैं सारे ग़म

    जो बरसता है अमृत की बूंदों की तरह 
    झरता है खुशबू बिखेरते फूलों की तरह
    मां का स्पर्श साथ रहता है उम्र भर हवा की तरह
    जिसके चलते ही पूरे हो जाते है दिल के अरमान
    मां का स्पर्श होता है एक सदा की तरह
    जिसके गूंजते ही,मन झूम उठता है हर शाम

    मां का स्पर्श होता है उस काली घटा की तरह
    जिसके छाते ही मिल जाती है दिल को ठंडक
    मां का स्पर्श छू जाता है अक्सर मुझे तन्हाई में
    और दिला जाता है उसके पास होने का अहसास
    ऐ साहिब, मां का स्पर्श ऐसे ही जब तक मेरे साथ है
    दुखों में भी होती रहती है खुशियों की बरसात है।
      
                                      -सुशी सक्सेना

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