ईर्ष्यायों से दूर हो
खुशियों की वर्षा रोज हो
वृक्षों की टहनियां झिलमिलाए
झाड़ियों में फूल खिल खिलाए
छम छम करता सावन आए, आए पतझड़ की भी धार
और जब बसंत ऋतु आए तब
छाए खुशियों की बहार
खेतों में धान लह लाहाए
गेहूं के दाने सोने जैसे चमचमाएं, मानव हृदय में प्रेम जगाए
Anamika Srivastava
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