किन्नरों का दर्द
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अंग काटकर फैंका तुमने दर्द तुम्हें भी होता होगा
हमें सजा मिली कर्मों की दिल तो तुम्हारा रोता होगा।
तुमने नहींअपनाया हमको समाज भी नहीं अपनाता है
इज्जत नहीं जिल्लत मिलती है हर कोई ठुकराता है।
सर से हाथ हटाया तुमने सबने ही दुत्कारा है
नहीं दोष तुम्हारा कुछ भी सारा दोष हमारा है।
अपने होते हुए भी हम अपनों से नहीं मिल सकते हैं
संग में हंस रो गा नहीं सकते कैसे हम खिल सकते हैं।
तुम समाज से बंधे हुए हो हम समाज से कटे हुए
हमको तुम अपना नहीं सकते हाथ तुम्हारे बंधे हुए।
सबके सामने हंसते हैं हम तन्हाई में रोते हैं
हम खुशी बांटते फिरते हैं पर खुशी नहीं हम होते हैं।
लेकिन अब हिम्मत जागी है हमें भी अब कुछ करना है
जगना और जगाना है अब हमको आगे बढ़ना है।
मेहनत से कुछ अच्छा करके समाज में जगह बनाएंगे
मांग के अब नहीं खायेंगे हम भी कुछ करके दिखलाएंगे,,,,,
-गोपी साजन