रचना शीर्षक :
*माँ से नित आशीर्वाद क्यों न जीवन में लेते*
माँ की ममता भी होती,ही गजब निराली है,
चाहे इंसान की माँ हो,या जानवर वाली है।
इंटरनेट पर वायरल,एक वीडियो में देखा है,
कुत्ते के बच्चे ने केबल,का तार काट दिया।
मालिक ने उसे मारने के,लिए चप्पल उठाई,
उसकी ये माँ बच्चे को,हर बार बचा रही है।
यह भाव लिए आँखों में,कह रही हो मन से,
शायद बच्चे से गलती हो गई,अब मत मारो।
हर माँ ऐसे ही होती है,इस मानव जीवन में,
नौ माह गर्भ में रख बच्चा,हर पीड़ा सहती।
बच्चे के लिए जीवन में,माँ कितने दुःख सहे,
खुद भूखी रहे किन्तु,बच्चे की भूख मिटाए।
बच्चों की खुशी के लिए,हर एक जतन करे,
चेहरे पर उसके कभी,एक भी शिकन नहीं।
पाल पोश कर बड़ा करे,माँ जैसे हो सकता,
अपनी हर इच्छा बच्चा,उससे ही है कहता।
होकर बड़ा वही बच्चा,जननी को ऐसे भूले,
याद नहीं रहता कैसे,वह माँ की गोदी झूले।
माँ के लिए समय नहीं,बीबी बच्चों में खेले,
माँ ने उसी बच्चे के लिए,कितने दुःख झेले।
वृद्धाश्रम में छोड़ें माँ को,जीवन आनंद लेते,
माँ से नित आशीर्वाद,क्यों न जीवन मे लेते।
मातृ दिवस में याद करले,शेष दिनों में नहीं,
ये कैसा? है प्यार माँ से,ये कैसा ?व्यवहार।
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रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
रिटायर्ड सीनियर लेक्चरर-पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़,उ.प्र.
वरिष्ठ समाजसेवी-प्रदेशीय,राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन