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    दोहा छंद - दोहा मूल मंत्र

    *दोहा छंद - दोहा मूल मंत्र*


    गागर में सागर भरे, दोहा छंद गहीर।
    दो पद की यह सर्जना, छंद क्षेत्र रणवीर।।-1

    तेरह ग्यारह गिन लिखें, अनुपम दोहा छंद।
    कुल मात्रा चौबीस से, उपजेगा आनंद।।-2

    ग्यारहवीं मात्रा अमित, रखें सदा लघु भार।
    दोष रहित होगा सृजन, दोहा फिर दमदार।।-3

    शब्द चयन आधार है, कल संयोजन प्राण।
    विषम विषम सम साधिए, होगा तब कल्याण।।-4

    चार चरण दो पद सहित, दोहा अति अभिराम।
    एक तीन दो चार का, यहाँ विषम सम नाम।।-5

    आदि जगण मत राखिए, करता यह व्यवधान।
    उचित जगह यति गति लगे, रहे यही बस ध्यान।।-6

    विषम चरण लघु गुरु अमित, रखें चरण के अंत।
    मात्राओं के ज्ञान से, भाव सृजन सुखवंत।।-7

    चरण अंत सम का रखें, गुरु अरु लघु अनिवार्य।
    मूल मंत्र दोहा अमित, विधि सम्मत स्वीकार्य।।-8

    दोहा रचना है सहज, इसका सरल विधान।
    अमित सतत अभ्यास ही, देता अतुलित मान।।-9

    रखिए रचना में सदा, उत्तम उचित तुकांत।
    मात्रा गणना हो सही, इति दोहा सूत्रांत।।-10

    सर्जक- *कन्हैया साहू 'अमित'*
    शिक्षक- भाटापारा छत्तीसगढ़

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