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    बाल कविता - हम धरा बचाएँ

    बाल कविता - हम धरा बचाएँ
    सोचें-समझे, जुगत लगाएँ,
    आओ मिल हम धरा बचाएँ।
    हैं अनेक ग्रह, नक्षत्र, तारे।
    एक धरा बस पास हमारे।।

    मनभावन है नीली रंगत।
    सारी सुविधा इसके संगत।।
    वारि, वायु धरती के अंदर।
    इसीलिए यह सबसे सुंदर।।

    करके हम कार्बन उत्सर्जन।
    घटा रहें नित इसका जीवन।
    ओजोन छिद्र बढ़ रहा है।
    तापमान नित चढ़ रहा है।।

    वृक्ष-वन, वसुधा से कटते हैं।
    बादल से बरखा घटते हैं।।
    नदियों में जा मिलता मैला।
    होता वातावरण विषैला।।

    परहितकारी पृथ्वी प्यारी।
    अनुपम यह आधार हमारी।।
    बात यही है, समझ बढ़ाएँ।
    एक धरा है, इसे बचाएँ।।

    सृजन- *कन्हैया साहू 'अमित'*
    भाटापारा छत्तीसगढ़ 
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