मैं ही अंत हूं मैं ही अनंत
मैं ही क्षमा हूं मैं ही दंड
मैं ही सृजक हूं मैं ही विध्वंस
मैं ही साथी हूं मैं ही सारथी
मैं ही अंत हूं......... (१)
मैं ही माझी हूं मैं ही मझधार
मैं ही शिव हूं मैं ही शिव-शक्ति
मैं ही ब्रह्मा हूं मैं ही ब्रह्मतत्व
मैं ही विष्णु हूं मैं ही विष्णुतत्व
मैं ही अंत हूं........ (२)
मैं ही गुप्त हूं मैं ही चित्रगुप्त
मैं ही जीवक हूं मैं ही पावक
मैं ही सेवक हूं मैं ही स्वामी
मैं ही स्वाभिमान हूंमैं ही अभिमान
मैं ही अंत हूं...... (४)
मैं ही नीति हूं मैं ही राजनीति
मैं ही सद्गति हूं मैं ही दुर्गति
मैं ही काल हूं मैं ही महाकाल
मैं ही क्षुधा हूं मैं ही प्यास
मैं ही अंत हूं और मैं ही अनंत (५)
मैं ही आशा हूं मैं ही निराशा
मैं ही जन्म हूं मैं ही मृत्यु
मैं ही डोर हूं मैं ही कटी पतंग
मैं ही डाल हूं मैं ही वृक्ष
मैं ही अंत हूं मैं ही अनंत (६)
मैं ही नाव हूं मैं ही उसकी पतवार
मैं ही जन्मा हूं मैं ही अजन्मा
मैं ही उत्सव हूं मैं ही उल्लास
मैं ही हर्ष हूं मैं ही विषाद
-अजीत सिन्हा (स्व रचित)
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