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    अग्निपथ

    "अग्निपथ "
    वृक्ष हों भले खड़े,
    हों बड़े, हों घने,
    एक पत्र छाँह भी
    मांग मत! मांग मत! मांग मत!
    अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
    तू न थकेगा कभी,
    तू न थमेगा कभी,
    तू न मुड़ेगा कभी,
    कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
    अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
    यह महान दृश्य है,
    देख रहा मनुष्य है,
    अश्रु, स्वेद, रक्त से
    लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
    अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

    "कोशिश कर हल निकलेगा "

    कोशिश कर, हल निकलेगा
    आज नहीं तो, कल निकलेगा.
    अर्जुन के तीर सा सध
    मरूस्थल से भी जल निकलेगा.
    मेहनत कर, पौधों को पानी दे
    बंजर जमीन से भी फल निकलेगा.

    ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे
    फ़ौलाद का भी बल निकलेगा
    जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को
    गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा.
    कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की
    जो है आज थमा-थमा सा, चल निकलेगा

    राम त्रिपाठी

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