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    क्या उतार चढ़ाव ही जीवन है?

    जिंदगी में हमेशा उतार चढ़ाव है, हर समय संघर्ष और चुनौतियां है, हमारे पास जो भी है हमें उसमे खुश रहना सीखना चाहिए| जो हमारे पास है ही नहीं उसके बारे में सोच कर क्यों दुखी होना? खुशियां बड़ी बड़ी उपलब्धियों में नहीं है बल्कि छोटे-छोटे पलों को जीने में है| यह बात हमेशा ध्यान रखें कि जब भी जीवन में खुशियां आती है तो दुखों का मुकुट पहन कर आती है, इसलिए जीवन में सुख और दुख दोनों ही महत्वपूर्ण है। अच्छा दिन खुशियां लाता है और बुरा दिन अनुभव, जिंदगी के लिए दोनों ही जरूरी है।

    दुनिया में कोई एक ऐसा इंसान नहीं है जिसकी जिंदगी स्थाई तोर पर चल रही हो सबकी जिंदगी में कोई न कोई समस्या होती ही है फिर चाहे वो कितना हे अमीर व्यक्ति हो या कितना ही गरीब जिंदगी हे तो हालातो का सामना तो आपको करना ही पड़ेगा पर ये है की अगर जिंदगी जीना है तो एक लाइन हमेशा याद रखनी चाहिए की " वक़्त है गुजर जाएगा " ये लाइन हमेशा आपको हिम्मत देगी अगर समय बुरा हे तो भी और अगर अच्छा हे तो आपमें कभी घमंड नहीं आने देगी हर समस्या को पैदा करने वाले भी हम ही होते है और ख़त्म करने की काबिलियत भी हमारे अंदर ही होती है बस हम मुसीबत के वक़्त समझ नहीं पाते और नकारात्मक विचारो से घिर जाते है तो ऐसा नहीं है की आप अनोखे इंसान हो जिसके साथ ऐसा कुछ हो रहा है समस्या सबके साथ है अब उससे निपटना कैसे है ये आप पर निर्भर करता है
    जीवन हमेशा एक सा नहीं रहता। परिवर्तन को स्वीकार कर ही हम अपनी हताशा-निराशा से उबर सकते हैं और समय के साथ चलकर अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। यह प्रवचन मुनि विनय कुमार आलोक ने दिए। मुनि ने कहा कि महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हम प्रकृति के इस नियम को जब भी मानने से इंकार करने लगते हैं, तब हम दुखी होते हैं, अवसाद से घिर जाते हैं। हमें स्वीकारना होगा कि जब अच्छे दिन । हमें स्वीकारना होगा कि जब अच्छे दिन स्थायी नहीं रहते, तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे। जो व्यक्ति इस सत्य को जान लेता है, वह कभी निराश-हताश नहीं होता।बदलना जीवन का विशेष गुण है। प्रत्येक व्यक्ति देखता है जन्म युवा बुढा़पा आता है। हर व्यक्ति भेष भूषा भी बदलता है खान पान में भी बदलाव आता है बहुदा स्थितियों में भी बदलावा आता है। कभी व्यक्ति उच्चता ग्रहण करता है और कभी सामान्य स्थिति में रहता है। यदि व्यक्ति इस बदलाव को समझ ले तो व्यक्ति को किसी भी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं होगी। रामायण में भी कहा गया है कि जिस स्थिति में भी राम रखे उस स्थिति में ही रहना चाहिए। 
                                                  -- Arpit shukla

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