दीपावली:- प्रकाश का त्यौहार

दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति । दीपावली शब्द ‘दीप’ एवं ‘आवली’ की संधि से बना है । आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपों की पंक्ति । इसे दीपोत्सव भी कहते हैं । 
‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए' ! इसे दीवाली या दीपावली भी कहते हैं । दीवाली अँधेरे से रोशनी में जाने का प्रतीक है
माना जाता है दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे । अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से उल्लसित था । श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए ।
कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी । तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। इससे अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है ।
सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था । और इसके अलावा 1618 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था 
जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही है ।
इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं ।
दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है 
कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है । लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं । घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता हैं । दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है कुछ लोग साफ़ सफाई का मतलब दिवाली को समझते है जब दिवाली आयेगी तो   तो सफाई होगी नहीं तो कोई जरूरत नहीं समझते हमे हमारे आस-पास साफ़ सफाई का ध्यान हमेशा रखना चाहिए 
तथा  इस  दिन लड़कियां अपने घरों में आगन में रंगगोलियां बनाती है दिवाली में रंगोली का बहुत ही महत्व है दिवाली आने के कई दिन पहले से ही स्कूल,  महाविद्यालयों आदि में रंगोली प्रतियोगिता करवाते है जिसमें सभी हर्षोल्लास से भाग लेते है 
बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है । दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुधरे व सजे-धजे नजर आते हैं ।
इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं ।
बाजारों में खील-बताशे, मिठाइयाँ, खांड़ के खिलौने,  आदि बिकते हैं ।
दीपावली आने से पहले कई शॉपिंग एप पर ग्रेट इंडियन फेस्टिवल के नाम पर डिस्काउंट में लोग दिवाली के लिए समान खरीदते है नये तरीके की मोमबत्तियां और लाइट खरीदते हैं लेकिन हमें भूलना नहीं चाहिए कि दीवाली में हम भारतीयों के परंपरानुसार हमें कुम्हार के द्वारा बनाए गए मिट्टी के दियों को जलाना चाहिए अभी भी कुछ गाँव मे कुम्हार मिट्टी के दिये चकली और बच्चों के खिलौने बनाकर बेचते है लेकिन अब कोई इन पर ध्यान नहीं देता 
हमे छोटे दुकानों से भी शॉपिंग करनी चाहिए हमे हमारे देश की परम्पराओं को ध्यान मे रखना चाहिए और हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी लोकल फॉर वोकल के लिए आवाज उठाई है हमे इस पर ध्यान देना चाहिए और अपने देश में बना समान का इस्तेमाल करना चाहिए 
दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं । 
दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है । पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं ।
लोग स्थान-स्थान पर आतिशबजिया और पटाखे जलाते हैं ।  लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि दीपावली प्रकाश का त्योहार है वायु प्रदूषण का नहीं पटाखे आदि जलाने से वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही कमजोर दिल के लोगों को , कई बार पटाखे जलाना बहुत ही घातक साबित हुआ है,और हॉस्पिटल के मरीजों को भी बहुत समस्या होती है तो हमें एक समझदार नागरिक की तरह पटाखे नहीं जलाने चाहिए इससे बहुत लोगों को समस्या होती हैं 
चारों ओर चमकते दीपक अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं । रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाजार व गलियाँ जगमगा उठते हैं  । देर रात तक कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा से भी अधिक प्रकाशयुक्त दिखाई पड़ती 
अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है । यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है ।
                                                      

लक्ष्मी शुक्ला
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38 टिप्पणियाँ
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  1. very Nice diwali diwali is the Greatest Festival of indian 's Happy diwali

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  2. One of the
    Fantastic Festival of india Happy diwali

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