"कलम से क्रांति"

    
आज के इस आधुनिक समय में ट्रेन की गति पटरी पर और उंगलियों की गति मोबाइल पर नहीं मापी जा सकती। जिस गति से आज भारतीय रेलवे ट्रेन पटरी पर उंगलियों की रफ्तार तेज गति से भागती है भविष्य में हम कह सकते हैं कि उस से भी तेज गति से आगे मनुष्य की उंगलियां मोबाइल पर बढ़ रही है। आधुनिकता के इस युग में मानव कलम और कागज का महत्व इतना घट गया है कि शायद अगर कोई किसी को पैसे दे तब भी वह, यह ना खरीदें। आखिर आधुनिकता के इस युग में उन्हें कलम और कागज की कीमत का क्या पता ? एक समय था जब आशिकों का इजहार कागज पर कलम पिरोती थी, एक समय था जब सच का साथ इसी पन्नों में लिखकर कानून न्याय देती थी एक समय था जब गृहस्ती की घटी का पर्चा कलम बनाती थी आज के लोगों को कहां इसका मजा और क्या इसकी असलियत आज के युवा पीढ़ी कागज और कलम की अहमियत तो क्या उनसे बहुत परे हैं। यदि विद्यालयों में लेखन पठन पाठन के कार्य हेतु कलम बा कागज ना उपयोग की जाए तो शायद लोग यहां भी भूल जाएं कि उसका भी कुछ महत्व या अस्तित्व था समय परिवर्तनशील है और परिवर्तन संसार का नियम है पर कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो निरंतर अपनी छाप छोड़ जाती हैं और उनका अस्तित्व कभी नहीं घटता। आज के इस प्रतिद्वंदी समाज में यदि विद्यार्थी अपनी कलम को मजबूत करें तो वह डगर से शिखर तक का सफर बहुत आसानी से तय कर सकेगा यदि आज का विद्यार्थी अपनी कलम को सख्त करें तो वह अन्याय के खिलाफ लड़ सकेगा यदि आज का विद्यार्थी अपनी कलम को महत्त्व दें तो वहां कलम से क्रांति कर सत्ता में अपनी भागीदारी कर सकेगा और एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करेगा।


                                           By Vatsalya Sarthi
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