खेल

खेल को अगल ढंग से मत देखो,
          प्यार का पैगाम देता है खेल
            इसे मजहबी रंग से मत देखो।
               चलती हवा के कान में,
     जलते हुए दीपक ने ये बात कही,
        मेरे हौसले के आगे तेरी कुछ भी औकात नहीं।
          खेल में जीत की उम्मीद और हार का डर,
              होठों के मुस्कान को चुरा लेता है.
       लहू के आग को अब जलाना है मुझे,
          पूरी दुनिया को कुछ करके दिखाना है मुझे।
             बच्चों को खेलता देख कर,
                याद आ जाते है बचपन के वो सुनहरे दिन.

खेल हमारे जीवन का एक एहम हिस्सा है, यह हमारे शारीरिक एवम् मानसिक दोनो ही विकास का श्रोत है. यह हमारे शरीर के रक्त परिसंचरण मे सहायक है, वही दूसरी ओर हमारे दिमागी विकास मे लाभकारी है. खेल व्यायाम का सबसे अच्छा साधन माना जाता है. खेल ही हमारे शरीर को हस्ट-पुस्ट, गतिशील एवं स्फूर्ति प्रदान करने मे सहायक होते है

खेलों से मनुष्य के समय की पाबंदी और अनुशासन की भावना का विकास होता है। खेल, मनुष्य को उत्साह और नई ऊर्जा प्रदान करते हैं। खेलों से मनुष्य के शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति आती हैं। खेल, स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 स्वस्थ शरीर और दिमाग काे विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जाे हमारे शारीरिक के साथ मानसिक विकास में मदद करते हैं। लगातार पढ़ाई के दौरान कई बार तनाव की स्थिति होती है। ऐसे में खेल इस तनाव को दूर करने का बेहतर माध्यम है।

खेलों से स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है इनसे मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। खेलकर से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है।

 खेल, कई नियमों एवं रिवाजों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है। ... सामान्यतः खेल को एक संगठित, प्रतिस्पर्धात्मक और प्रशिक्षित शारीरिक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें प्रतिबद्धता तथा निष्पक्षता होती है।

 वजन को कम और शरीर को सुडौल बनाने में यह आसन मदद करता है। वज्रासन के दौरान शरीर के मध्य भाग पर सबसे अधिक दबाव पड़ता है। इस दौरान पेट और आंतों पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे कब्ज की दिक्कत दूर होती है और पाचन ठीक रहता है।

 अच्छा खिलाड़ी अपने खेल के प्रति दिलचस्पी, उत्सुकता और सीखने की चाह रखता है। वह अपना खेल लगन से खेलता है। उसका अपने खेल पर नियंत्रण होता है। और वह हारी हुई बाज़ी को भी जीतने का हौसला रखता है।

 खेल कल्पना शक्ति को विकसित करता है और यह बच्चों को दैनिक स्थितियों से जूझने में मदद करता है। आपने पढ़ा कि शारीरिक और क्रियात्मक कौशलों का विकास अभ्यास करने पर निर्भर करता है। खेल ऐसी क्रिया है जो बच्चों को अभ्यास के पर्याप्त अवसर प्रदान करती है।
" नागर" ने कहा कि खेलों को खेल की भावना से खेलना चाहिए। खेल की भावना से प्रतिभा को निखरने का मौका मिलता है।

 खिलाड़ी की भावना का आशय यह है कि हम खेल में अनुशासित रहें। हमारे अन्दर धैर्य, सहिष्णुता, उदारता बनी रहे और हार-जीत को समान भाव से लें।
 
विकास में खेल का महत्व

. खेल संज्ञानात्मक विकास को आगे बढ़ाता है ... 
. पालनकर्ता की भूमिका ... 
. खेल कल्पनाशीलता और सृजनात्मक को बढ़ावा देता है ... 
. खेल शारीरिक और क्रियात्मक विकास को बढ़ावा देता है ... 
. खेल भाषायी विकास में सहायक होता है ... 
 .खेल द्वारा बच्चे सामाजिक होना सीखते हैं ... 
. खेल भावात्मक विकास में सहायक होता है ... 

   उसके जज्बात में ही जीत है,
    इसलिए वो खेलता बेहतरीन है,

       ये गुस्सा और ये अंहाकर मुझे क्यों दिखाते हो,
        दम इतना है तो किसी खेल में क्यों नहीं दिखाते हो.

           खेल से भी युवाओ को आस है,
            इसमें भी अब उनको करियर की तलाश है.

    जिंदगी एक खेल है यह आप पर निर्भर करता है,
    कि आप खिलाड़ी बनकर जीते है या खिलौना बनकर।

                                            By Ashish Shukla
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