कोई परिणाम नहीं मिला

    अधूरी इच्छाएं

    अधूरी इच्छाएं

    इच्छाओं के
    मकड़जाल में
    ऐसा उलझा है इंसान
    चाह कर भी वह
    न छूट पाता
    न ही छुड़ा पाता
    अजीब सी छटपटाहट में
    रहता है ताउम्र
    अंत में ले जाता है साथ ही
    अधूरी इच्छाएं। 

    -विनोद सिल्ला

    एक टिप्पणी भेजें

    Thank You for giving your important feedback & precious time! 😊

    और नया पुराने

    संपर्क फ़ॉर्म