आज हम जिन्दगी के उस मोड़ पर खड़े हैं । जहां हमे बहुत दूर दूर तक कोई सहारा नजर नही आता है ।
कल तक जो हमारे अपने थे वो भी मुँह मोड़े खड़े हैं ।
आखिर ऐसा क्यों ?,, ये के हमने जात पात,घर परिवार, मान मर्यादा, से हठ कर प्रेम किया अरे ये प्रेम तो वो दीपक है ।जिसकी बाती जलाने के लिए तैल की जरूरत नहीं होती है ।इस मे तो दो प्रेम करने वालो के मिलन से इस दीपक की बत्ती प्रवाजल्लित होती है ।
ओर ये सब उसे बूझा ने के लिए तैयार खड़े है ।आखिर प्रेम किसने नही किया अगर दुनिया मे प्रेम ना होता तो ईशवर इस इतनी बड़ी सृष्टि का निर्माण ना करता ।ओर इतने सुन्दर-सुन्दर फूल पौधे, वे पशु-पक्षी ना बनता ।ओर तो ओर इस पूरी दुनिया की सबसे बहतरीन कृती का इन्सान को ना बनाता जिस के लिए उसने इस पूरी सृष्टि का निर्माण किया ।
जो वो चाहत तो उस व्यक्ति को भी अकेला छोड़ सकता था ।जिस से इस पूरी दुनिया के इंसानो का जन्म हुआ ।लेकिन उसने ऐसा नहीं किया ओर उसी व्यक्ति से एक स्त्री को पैदा किया ओर फिर उन दोनो मे वो प्रेम का दीपक जलाकर इस पूरी सृष्टि को प्रकाशमय कर दिया ।।
Farman alvi
expr:data-identifier='data:post.id'
Thank You for giving your important feedback & precious time! 😊