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    बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान का उद्देश्य

    बेटी बचाओ बेटी पढाओ का मतलब है कि कन्या शिशु को बचाये और उन्हें शिक्षित करे हमारे देश के प्रधान मंत्री मोदी जी 22 जनवरी 2015 को बालिका दिवस के मौके पर इस योजना की शुरुआत की भारत में 2001 की जनगणना की 0-6 वर्ष के लिंगानुपात का आकड़ा 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या 927 थी जो कि 2010 में घटकर 918 हो गयी यह एक चिंता का विषय है इसीलिए सरकार को यह योजना शुरू करने की आवश्कता महसूस हुई UNICEF ने भारत को बाल लिंग अनुपात में 195 देशों में 41वा स्थान दिया है यानी कि हम लिंगानुपात में 40 देशों से पीछे है इस योजना के अनुसार लड़के और लड़कियों में भेद भाव खत्म हो जायगा इस योजना में बहुत सी सरकारी और प्राइवेट 
    कंपनियां द्वारा सहयोग दिया गया है इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को सुरक्षा प्रदान करना है और कन्या भ्रूण हत्या रोकना है इसके अलावा बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना है साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए भी यह अभियान एक मजबूत कड़ी है 
    - लड़किया वर्षो भारत में कई तरह के अपराधों और भेदभाव से पीड़ित हैं 
    - इनमे सबसे भयानक अपराध कन्या भ्रूण हत्या हैं 
    - बालिकाओं के जीवन को बचाने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण एक बहुत बड़ा प्रभावशाली कदम है 
    - एक लड़की को प्रत्येक में समान पहुच और अवसर देने चाहिए 
    पता नहीं आप इस बात से संतुष्ट हैं कि नहीं पर आज भी भारत में महिलाओं और पुरूषों के बीच असमानता होती है आप भी कुछ लोग महिलाओं को सिर्फ और सिर्फ नौकरानी समझते हैं कितने लोग आज भी बेटी को बोझ समझते हैं और कुछ लोग ल़डकियों को जन्म लेने से पहले ही मार देते हैं 
    इस सबको रोकने के लिए सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत किया है और यह योजना सफल भी रहीं बहुत सी लड़कियां स्कूल जाने लगी हैं और इसके लिए भारत सरकार का धन्यवाद करना चाहती हैं और यह भी चाहती हैं कि सारे लोग बेट यह भी चाहती हैं कि सारे लोग बेटी की अहमियत को समझे और उनका अपमान ना करे 
    हमें ल़डकियों को उतना ही इज़्ज़त और सम्मान देना चाहिए जितना कि लड़कों को मिलता है 
    बाकी देशों में भी महिलाये है लेकिन दुविधा हमारे देश में ही क्यों..? हमारे पूर्वजों से यह सोच चली आ रही कि कि लड़के ही परिवार का नाम रोशन करते है वही स्त्री केवल बच्चे सम्हालने और घर चलाने के काम आती हैं इसीलिए उनका महत्व नहीं होता इसी सोच की वजह से लोगों को, लड़के पैदा होने पर अत्यंत खुशी मिलती हैं 
    और ल़डकियों को अस्पताल में मारने की प्रथा यही से शुरू होती हैं क्योंकि उन्हें बेटियाँ बोझ लगती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लड़की को पढ़ाने लिखाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि शादी के बाद लड़की किसी और के घर चली जाती हैं ऐसे लोगों को जो यह सोचते है उनमे सुधार लाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ शुरू किया था यथा संभव सरकार ने समाज में बदलाव लाने की कोशिश में घर घर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया जिसका सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त हुए हैं 
                                                 -Pritam yadav

    2 टिप्पणियाँ

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