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    जवानी

    बहुत कुछ कर गुजरने को,
    मचलती भावनाए जब,
    नहीं अन्याय सह पाती,
    रगों में वह रवानी है ।
    न केवल उम्र से ही वास्ता 
    होता सदा उसका,
    जवानी जगमगाती ज्योति की
     उज्ज्वल निशानी है ।।

    वतन के दुश्मनों का जो,
    कलेजा चीर कर रख दे,
    लगाए जख्म में मरहम,
    हृदय की पीर जो हर ले,,
    बुराई टिक नहीं सकती,
    जहां पर यह उफनती है,
    उगाए हाथ में सरसो ,
    लिखे नूतन कहानी है।
    जवानी जगमगाती ज्योति की,
    उज्ज्वल निशानी है ।।

    नशे से ,दुर्व्यसन से जो,
    सदा ही दूर  है रहती,
    सृजन,सौजन्य से,दुष्वृतियो 
    का,श्राद्ध जो करती ।
    इरादे नेक हो जिसके,
    न बलिदानों से घबडाए,
    निकाले  तेल बालू से,
    यही हिम्मत रूहानी है ।
    जवानी जगमगाती ज्योति की,
    उज्ज्वल निशानी है ।।

    पलट तूफान के रुख को,
    नदी की धार जो  मोड़े ,
    मृदुल मुस्कान से नफ़रत,
    घृणा की रीढ़ जो तोड़े ।
    अनेतिक कृत्य से जो जूझती,
    आठो पहर रहती ,
    जवानी मातृ _भक्तों , राष्ट्र _भक्तों, की दिवानी है।
    जवानी जगमगाती ज्योति की,
    उज्ज्वल निशानी है ।।

    चलो तरूणों उठो,जागो,
    जगत जननी बुलाती है ।
    चुकाने दूध की कीमत,
    तुम्हारी रट लगाती  है ।
    बहुत उम्मीद है तुमसे,
    ब्यथित,व्याकुल मनुजता को,
    जहां में दिव्य तत्वों की,
    पुनः बगिया सजानी है,
    जवानी जगमगाती ज्योति की,
    उज्ज्वल निशानी है ।।

    पुनः कुरुक्षेत्र में तुमको,
    धरम _ गांडीव लाना है।
    समूचे विश्व में फिर न्याय का,
    डंका बजाना है।
    कफ़न को बांध कर सर पर,
    निकालो कर्मबीरो को,
    धधकती विश्व वसुधा में,
    पवन शीतल बहानी है ।
    जवानी जगमगाती ज्योति की,
    उज्ज्वल निशानी है ।।

    डॉ शिव शरण श्रीवास्तव "अमल"

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