क्षेत्र नहीं, कोई ऐसा कोना नहीं, जहाँ विज्ञान न हो। मानव सुख-सुविधाओं के
लिए विज्ञान ने क्या नहीं किया। मनोरंजन के सुलभ साधन- रेडियो, टेलीविजन,
टेलीफोन, सिनेमा, ग्रामोफोन ये सभी उपकरण विज्ञान की ही देन हैं। विज्ञान की
बदौलत आज मानव जीवन एक रंगीन कल्पनाओं का सुनहरा संसार बन गया है। काल की दाढ़
में उलझे कराहते रोगी के लिए विज्ञान नव-जीवन का वरदान लेकर प्रकट हुआ है।
चिकित्सा के एक-से-एक साधन विज्ञान उपलब्ध कराता है। शरीर का एक-एक अंग यहाँ
तक कि हृदय और आँख तक भी विज्ञान के सहारे प्रत्यारोपित किये जा रहे हैं। अब
तो परखनली के सहारे सृष्टि सर्जना का भी प्रयास किया जा रहा है और शव में भी
विज्ञान वरदान है- आधुनिक विज्ञान ने मानव सेवा के लिए अनेक प्रकार के साधन
जुटा दिए हैं। पुरानी कहानियों में वर्णित अलादीन का चिराग आज मामूली और तुच्छ
जान पड़ता है। अलादीन के चिराग का दैत्य जो काम करता था, उन्हें विज्ञान बड़ी
सरलता से कर देता है । रातों-रात महल बनाकर खड़ा कर देना, आकाश मार्ग से उड़कर
दूसरे स्थान पर चले जाना, शत्रु के नगरों को मिनटों में बरबाद कर देना ऐसे ही
कार्य हैं। यथा- विज्ञान मानव जीवन के लिए महान वरदान सिद्ध हुआ है। उसकी
वरदायिनी शक्ति ने मानव को अपरिमित सुख-समृद्धि प्रदान की है। को
(क) परिवहन के क्षेत्र में पहले लम्बी यात्राएँ दुरूह स्वप्न-सी लगती थी;
किन्तु आज रेलों, मोटरों और वायुयानों ने लम्बी यात्राओं अत्यन्त सुगम व सुलभ
कर दिया है। पृथ्वी ही नहीं, आज के वैज्ञानिक साधनों के द्वारा मनुष्य ने
चन्द्रमा पर भी अपने कदमों के निशान बना दिये हैं। (ख) संचार के क्षेत्र में
टेलीफोन, टेलीग्राम, टेलीप्रिन्टर आदि द्वारा क्षण भर में सन्देश पहुँचाये जा
सकते हैं। रेडियो और टेलीविजन द्वारा कुछ ही पलों में एक समाचार विश्व भर में
फैलाया जा सकता है।
(ग) औद्योगिक क्षेत्र में भारी मशीनों के निर्माण ने बड़े-बड़े कल-कारखानों को
जन्म दिया है, जिससे श्रम, समय और धन की बचत के
सम्भव हुआ है। इससे विशाल जनसमूह को आवश्यक वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध
करायी जा सकती हैं।बीजों की नयी-नयी किस्मों ने कृषि उत्पादन के साथ -साथ
प्रचुर मात्रा में उत्पादन सम्भव हुआ है। इससे विशाल जनसमूह को आवश्यक वस्तुएँ
सस्ते मूल्य पर उपलब्ध करायी जा सकती हैं।
(घ) कृषि के क्षेत्र में ट्रैक्टरों, ट्यूबवेलों, रासायनिक खाद एवं बीजों की
नयी-नयी किस्मों ने कृषि उत्पादन को बहुत बढ़ाया है, जिससे विश्व की बढ़ती
जनसंख्या का पेट भरना संभव हो सका है।
(ङ) शिक्षा के क्षेत्र में मुद्रण-यन्त्रों के आविष्कार ने बड़ी संख्या में
पुस्तकों का प्रकाशन सम्भव बनाया है, जिससे पुस्तकें सस्ते मूल्य पर मिल सकी
हैं। इसके अतिरिक्त समाचार-पत्र, पत्र-पत्रिकाएँ आदि भी मुद्रण-क्षेत्र में
हुई क्रान्ति के फलस्वरूप घर-घर पहुँचकर लोगों का ज्ञानवर्द्धन कर रही हैं।
आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि की सहायता से शिक्षा के प्रसार में बड़ी सहायता मिली
है। कम्प्यूटर के विकास ने तो इस क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है।
(च) मनोरंजन के क्षेत्र में चलचित्र, आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि ने मनोरंजन को
सस्ता और सुलभ बना दिया है। वी0 सी0
आर0, ग्रामोफोन, टेपरिकार्डर आदि इस दिशा में और सहायक सिद्ध हुए हैं।
(छ) चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सा के क्षेत्र में तो विज्ञान वास्तव में
वरदान सिद्ध हुआ है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित हो गयी है कि अन्धों
को आँखें और अपंग को अंग मिलना अब असम्भव नहीं लगता। कैंसर, टी० बी०, हृदयरोग
जैसे भयंकर और प्राणघातक रोगों पर विजय पाना विज्ञान के माध्यम से ही सम्भव
हुआ है।
(ज) खाद्यान्न के क्षेत्र में आज हम अत्र के मामले में आत्म-निर्भर होते जा
रहे हैं; इसका श्रेय आधुनिक विज्ञान को ही है। विभिन्न प्रकार
के उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं, खेती के आधुनिक साधनों तथा जल-सम्बन्धी कृत्रिम
व्यवस्था ने खेती को सरल व लाभदायक बना दिया है।
(झ) दैनिक जीवन में हमारे दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य विज्ञान पर आधारित है।
विद्युत हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन
गयी है। बिजली के पंखे, गैस, स्टोव, फ्रिज आदि के निर्माण ने मानव को
सुविधापूर्ण जीवन का वरदान दिया है। इन आविष्कारों से समय, शक्ति और धन की
पर्याप्त बचत हुई है। विज्ञान ने हमारे जीवन को इतना अधिक परिवर्तित कर दिया
है कि यदि दो सौ वर्ष पूर्व का कोई व्यक्ति हमें देखे, तो यही समझे कि
हम स्वर्ग में रह रहे हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी कि भविष्य का
विज्ञान मृत व्यक्ति को भी जीवनदान दे सकेगा। इसलिए विज्ञान को वरदान न कहा
जाय तो क्या कहा जाय ?
Aditi Mishra
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