कारगिल के वीरों की शहादत को सलाम
हसते हसते कर दिया
अपना जीवन देश पर कुर्बान
दिल में था जूनून जीत का सवार
न पढ़ पाई अपनों की चिट्ठी
न मिल पाया अपनो का प्यार:
कारगिल पर विजय पताका फहराकर,
सोचा था जाएगा फिर अपने घर
कारगिल पर तिरंगा लहराते ही हो जाएगा अमर
बहन राखी लिए कर रही थी भाई का इंतजार:
पिताजी भी मन ही मन हो रहे थे बेकरार
दोस्त भी सोच रहे थे एक बार फिर लगेगी महफिल
माँ को तो एक क्षण भी काटना था मुश्किल
पति के आने की खुशी में पत्नी भी रही थी सज संवर
वीर लौट आया है अपने घर फ़र्क बस इतना है
इस बार आया है तिरंगे में लिपटकर
सर सबका फक्र से ऊंचे था और आंखें थीं नम
दिलों में थी सबके खामोशी
बस चारों दिशाओं में गूंज रही थी एक आवाज
अमर रहे वीर जवान
जवानों की शहादत को सलाम ।।
Important ...
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