प्रयाग में कुंभ का मेला लगा हुआ था, हमारे हमारे चाचा जी जो धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, उनका बड़ा मन था कुंभ में स्नान करने का पर मुझे लगता था इतनी भीड़ में कहां जाऊं... फिलहाल तो मुहूर्त स्नान के दिन ही मैं उनके साथ कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज जाने को तैयार हुआ मन में स्नान से ज्यादा मेला देखने की इच्छा थी, शायद यही एक अच्छा समय था जिसे एक पंथ दो काज कह सकते थे।
मेरा मन पहले कभी कुंभ जाने के लिए इतना उतावला नहीं हुआ था, चाचा जी के साथ स्नान का अवसर मिला।
भारी भीड़ नदी के घाट पर थी, उनको देखकर मैं अलग ही दुनिया की विचारधारा में दिन हो गया और सोचने लगा कि कितनी आस्था है लोगों को गंगा मैया पर कितने श्रद्धा से लोग स्नान ध्यान कर रहे हैं, एकटक मैं लहरों की उफान भरती हुई गंगा को देख रहा था, सोच में यह सब होकर भी सोने की तरह में बहती गंगा यमुना के संगम को देख रहा था। कुछ ही छोड़ो बात चाचा जी ने आकर कहा कि तुम भी स्नान कर लो, नहाने के लिए मैंने अपने कदम गंगा नदी की ओर बढ़ाए नदी में प्रवेश करते ही 1-2 डुबकी मैंने लगाई और फिर लगातार 5- डुबकियां लगाई।
नदी के ठंडे पानी ने पूरी तरह मुझे तरोताजा दिया ऐसा लगा कि मेरे शरीर में कितनी ही नकारात्मक उर्जा शरीर से निकलकर गंगा में समाहित हो रही हैं ऐसा मानोगी मेरे रोम रोम में हल्का पन महसूस हो रहा हूं, जैसे पूरा शरीर हल्का हो गया हो नदी में कुछ देर खड़े रहकर मैंने भी गंगा मां को अर्ध्य दिया।
गंगा में स्नान कर मेरा तन के साथ-साथ मेरा मन भी हल्का हो चुका था, तब मुझे समझ आया कि क्यों हिंदुओं के मन में गंगा नदी को लेकर अगाध श्रद्धा है, क्यों लोगों में इतनी आस्था है।
विज्ञान ने भी यह सिद्ध कर दिया है किंतु यह मेरा अनुभव एकदम अनोखा रहा, जिसे मैं पूरी तरह बता भी नहीं पा रहा हूं।
अंततः गंगा मैया की महिमा मेरे सामने थी मैं गंगा मैया के सामने नतमस्तक हो गया।
Awesome
जवाब देंहटाएंOsm
जवाब देंहटाएंWht a experience boss 👍🏻👍🏻 such a great holy of Bharat "The Ganga"
जवाब देंहटाएंThanks 😊
हटाएंOsm
जवाब देंहटाएंThanks bhai 😌
हटाएंThank You for giving your important feedback & precious time! 😊