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    तलाक विकास में बाधक

     तलाक के अंजाम 
    शीर्षक --- तलाक विकास में बाधक
    सात फेरों लेकर विवाह के बंधन में बंधते है नर -नारी।
    सात जन्मों तक साथ निभाने की कसम खाते हैं नर -नारी।।
    सात जन्मों के लिए बना है यह पवित्र बंधन।
    पवित्र दांपत्य जीवन निभाने के लिए होता है यह गठबंधन।।
    पर बीच में ही कई दम्पत्ति मार्ग भटक जाते हैं।
    पाश्चात्य सभ्यता के चकाचौंध में जीवन बर्बाद हो जाते हैं।।
    तलाक और संबंध- विच्छेद कर दोनों अलग हो जाते हैं।
    मां - बाप का प्यार पाने को बच्चे तरस जाते हैं।।
    क्या कसूर उन बच्चों का नहीं पाते दोनों का प्यार।
    क्या कसूर उस महिला का जो हो जाती है लाचार।।
    तलाक के चक्कर में पड़कर कई घर बिखर जाते हैं।
    कई बूढ़े मां - बाप भी निराश्रित हो जाते हैं।।
    दहेज लोभी, स्त्री विरोधी है यह समाज के दुश्मन।
    देश, समाज और राष्ट्र विकास के भी है यह दुश्मन।।
    तलाक नहीं है पारिवारिक समस्याओं का समाधान।
    तलाक देकर न करो स्त्री और बाल विकास में व्यवधान।।
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    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

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