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    मायूसी जहन की

    कोई तुम्हारे जज्बात नही समझता 
    दिल से गुजर रहे वो हालात नही समझता
    जुबां से निकली वो बात नही पढता 
    चेहरा देख वो कुछ नहीं कहता

    अपने ही आप से एक बात कहा करता हूँ
    पता नही वो समझता क्यो नही है

    पर शायद , वो सब समझकर समझा ना पाता हो
    अपने जज्बात को वो भी मेरी तरह किसी से बता ना पाता हो

    शायद वो भी मेरे ही जैसे हालातो से गुजरा हो
    इसिलिए तो वो भी मेरी ही तरह मेरे ही जैसा हैं 


                     ✍️राहुल . . . 

    6 टिप्पणियाँ

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