हर गांव वा हर एक गली में ढुँढते है
हर नुक्कड व हर एक चौराहे पे ढुँढते है
हर एक कस्बे व हर एक शहर में ढुँढते है
चल इंसानियत ढुँढते है
हर एक घर के अंदर व बाहर ढुँढते है
हर एक दुकान व हर एक शोरूम में ढुँढते है
हर एक आफिस व हर कंपनी में ढुँढते है
चल इंसानियत ढुँढते है
छोडे बच्चे से लेकर हर एक वयस्क में ढुँढते है
नौजवान आदमी व औरत से लेकर हर एक बुजुर्ग में ढुँढते है
हर एक अमीर व हर एक गरीब मे ढुँढते है
चल इंसानियत ढुँढते है
तुझमें ढुँढते है , खुद में ढुँढते है
अपनों में ढुँढते है , गैरों में ढुँढते है
हर जगह ढुँढते है , इस जहाँ में ढुँढते है
चल इंसानियत ढुँढते है
✍️राहुल . . .
Bahut khoob
जवाब देंहटाएंBhut acha
हटाएंGajab
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंBhut acha
जवाब देंहटाएंBhut hi sunder
जवाब देंहटाएंGajab 🤘
जवाब देंहटाएंHeart touching ❤️ lines
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंBahut khoob
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