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    शिक्षित बेरोजगारी


    "शिक्षित बेरोजगारी "
    भारत में शिक्षित बेरोजगारी एक भीषण समस्या बनकर उभर कर आ रही है। भारत में 
    युवाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है और वह हर दिन रोजगार पाने के लिए लम्बी कतारों 
    में खड़े हो जाते हैऔर शिक्षित होने के बावजूद बहुत युवको को उनके उचित नौकरी 
    नहीं मिल पाता है। लाखो रूपए का निवेश कर पढ़ने वाले बड़ी डिग्रीयों के साथ 
    पास हो जाते है। मगर नौकरी पाने के लिए उन्हें अक्सर धक्के खाने पड़ते है। 
    एजुकेशन फॉर आल एक ऐसी नीति है जिसने देश के हर कोने में शिक्षा के दीपक जला 
    रखे है। लेकिन शिक्षित वर्ग का एक बहुत बड़ा हिस्सा रोजगार हीन जीवन गुजार रहा 
    है। जब हम विकास की बात करते है तो शिक्षा प्रमुख कारक है जिसका प्रत्यक्ष और 
    अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है।


    पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने कहा था हमारी शिक्षा प्रणाली पहुँच 
    सामर्थ्य और गुणवत्ता के आधार पर टिकी हुयी है। इतने प्रभावशाली अभियानों के 
    बाद भी इतनी बेरोजगारी की समस्या

    बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जब कोई व्यक्ति रोजगार की तलाश कर रहा है पर 
    दुर्भाग्यवश रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे है।शिक्षित बेरजगारी किसी भी देश 
    की प्रगति में एक बहुत अड़चन है। शिक्षित बेरोजगारी तब होती है जब कोई व्यक्ति 
    शिक्षित होता है मगर कुशल नौकरी पाने में सक्षम नहीं होता है। जब बड़ी संख्या 
    में युवा वर्ग ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करते है लेकिन 
    सीमित नौकरी के अवसर उन्हें हताश कर देते है। शिक्षित बेरोजगारी का दर भारत और 
    अन्य देशो में हर साल बढ़ रहा है। युवा वर्गों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना 
    करना पड़ता है और कुछ एक को नौकरी मिल पाती है और बाक़िओं को अपने काबिलियत से 
    कम पदों की नौकरी
      जब कोई व्यक्ति रोजगार की तलाश कर रहा है पर दुर्भाग्यवश रोजगार के अवसर नहीं 
    मिल पा रहे है।शिक्षित बेरजगारी किसी भी देश की प्रगति में एक बहुत अड़चन है। 
    शिक्षित बेरोजगारी तब होती है जब कोई व्यक्ति शिक्षित होता है मगर कुशल नौकरी 
    पाने में सक्षम नहीं होता है। जब बड़ी संख्या में युवा वर्ग ग्रेजुएट या पोस्ट 
    ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करते है लेकिन सीमित नौकरी के अवसर उन्हें हताश कर 
    देते है। शिक्षित बेरोजगारी का दर भारत और अन्य देशो में हर साल बढ़ रहा है। 
    युवा वर्गों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है और कुछ एक को नौकरी 
    मिल पाती है और बाक़िओं को अपने काबिलियत से कम पदों की नौकरी करनी पड़ती है।

    शिक्षित बेरोजगारी से परेशान युवको को यह जानना आवश्यक है कि उनके लिए कौन सी 
    नौकरी उपयुक्त है और उस उपयुक्त नौकरी को पाने के लिए कौन सा करियर पथ उन्हें 
    चुनना चाहिए। युवको को उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त करने के साथ नौकरी की 
    सम्भावनाओ और करियर के अवसरों के बारें में जानकारी देना आवश्यक है। इससे 
    उन्हें पेशा चुनने में मदद मिलेगी जो उनकी क्षमता और योग्यता के लिए उपयुक्त 
    है।
      भारत 1.21 बिलियन की आबादी वाला देश है और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी 
    दर, साल 2017 -2018 में 14.9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत से 
    10.7 प्रतिशत के तहत है। हाल के वर्षो में शिक्षा वृद्धि के कारण आधुनिक 
    युवाओं को अच्छी तरह से शिक्षित किया गया है और उनके पास BE, MBA, MBBS, Phd 
    जैसी अच्छी डिग्री है। इसलिए हमारे देश का कार्यबल अपने संबंधित क्षेत्रों में 
    एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी तलाश कर रहा है।

    कौशल आधारित प्रशिक्षण की कमी और वित्तीय बाजार में आयी मंदी के कारण युवाओं 
    को मनचाही नौकरी मिलना मुश्किल हो जाता है। यह शिक्षित बेरोजगारी पैदा करता है।
      यदि हम भारत के बारे में बेरोजगारी की दुर्दशा के सुधारो और समाधानों के विषय 
    में बात करें तो देश में तकनीकी और व्यवसायिक संस्थानों की स्थापना होनी चाहिए 
    और लोगों के मन में व्यवसायिक पाठ्यक्रम का महत्व होना चाहिए। इंजीनियरिंग और 
    मेडिकल को छोड़कर शैक्षिक क्षेत्रों को पेश करने हेतु अभियान चलाना चाहिए और 
    ग्रामीण व्यक्तियों को इसके विषय में जागरूक करना चाहिए।

    नौकरी के अवसर पाने के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन और पी एच डी जैसे पाठ्यक्रमो को 
    उच्च शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, 
    स्वर्णजयंती, ग्राम सरोवर योजना, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना 
    गारंटी अधिनियम को अधिक बढ़ावा देने की ज़रूरत है। इसे पूरे भारत में 
    कुशलतापूर्वक लागू कर देना चाहिए।
      समस्या तब पैदा होती है जब डिग्री कोर्स की शिक्षा पाने के बावजूद कुशल नौकरी 
    नहीं पा रहे है। इस समस्या के कारण भारत में कुशल श्रमिकों की कमी है। एक 
    सर्वेक्ष्ण के अनुसार, शिक्षित युवाओं का 90 प्रतिशत कौशल की कमी के कारण 
    बेरोजगार है, 60 प्रतिशत संचार कौशल यानी कम्युनिकेशन स्किल्स, 25 प्रतिशत 
    विश्लेषणात्मक कौशल की कमी के कारण और अपने संबंधित ज्ञान की कमी के कारण 
    शिक्षित बेरोजगारी बढ़ती जा रही
      शिक्षित बेरोजगारी गरीबी की तुलना में सबसे बड़ा अभिशाप है। देश के विकास के 
    लिए बेरोजगारी एक प्रमुख बाधा बन कर खड़ी है। भारत में आकड़ो के तहत बेरोजगारी 
    की संख्या 10 करोड़ पार कर गयी है। पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, झारखंड, 
    बिहार, ओडिसा और असम जैसे राज्य बेरोजगारी से पीड़ित है और भारत के कुछ राज्य 
    बेहतर हालत में है। ज़रूरत है सही दिशा, योजनाओ और शिक्षा प्रणाली में बदलाव 
    की। भारत सरकार कोशिशे कर रही है और आशा है वर्तमान में उद्योग और विभिन्न 
    क्षेत्र में रोजगार पाने की अवस्था में सुधार होगा।

    रवि

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