तुम्हे रोटी कपड़ा मकान चाहिए।
और उन्हें पूरा हिन्दूस्तान चाहिए।।
एक बात कहनी है ध्यान चाहिए।
दो मिनट आपका श्रीमान चाहिए।।
भागोगे कहाँ अब स्थान भी नहीं।
खड़े हो कगार पर ध्यान भी नहीं।।
धर्मनिरपेक्षता का ज्ञान भी नहीं।
बचा तुममें तो स्वाभिमान भी नहीं।।
तुमको बिजली पानी दान चाहिए।
और उनको तुम्हारा प्रान चाहिए।।
गाँधीगिरी जानते सुभाष को नहीं।
शिवाजी प्रताप इतिहास को नहीं।।
जगा सके मन में विश्वास को नहीं।
किये पराक्रम के विकास को नहीं।।
तुमको सुख सुविधा शान चाहिए।
और उनको तुम्हारा प्रान चाहिए।।
साथ देने सच का तो अड़ ना सके।
दूसरों के झगड़ों में पड़ ना सके।।
एक मारा उसको दो जड़ ना सके ।
बैरियों की छाती पर चढ़ ना सके।।
तुमको सस्ता सब सामान चाहिए।
और उनको तुम्हारा प्रान चाहिए।।
जाट भाट ब्राह्मण में बटते गये।
ताकत में प्रतिदिन घटते गये।।
बिखर के रहे और कटते गये।
जात पात गुन गान रटते गये।।
तुम्हे कुल और खानदान चाहिए।
और उन्हें पूरा हिन्दूस्तान चाहिए।।
कश्मीर घाटी में भगाये गये तुग।
धर्म परिवर्तित कराये गये तुम।।
केरल से किस तरह मिटाये गये तुम।
कैसे बंगाल में सताये गये तुम।।
और तुम्हें कितना प्रमान चाहिए।
उनको तो पूरा हिन्दूस्तान चाहिए।।
Bhut badiya
जवाब देंहटाएंआज के समय के हिसाब से हिंदुत्व जागरण के लिए उपयुक्त रचना
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