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    "जीवन की कटी पतंग हूँ"


    मैं कीर्ति हूं अनुराग भी हूं
    जीवन का हर्ष - विषाद हूं।

    मैं पाप हूं पुण्य भी हूं
    जीवन का कटु सत्य हूं।

    मैं आशा हूं अभिलाषा भी हूं
    जीवन की एक परिभाषा हूं।

     मैं एक दौर हूं ठौर भी हूं
    ऊँची उड़ान की मिसाल हूं।

    मैं एक भाव हूं अभाव भी हूं
    गिरती जिंदगी का एक पतवार हूं।

    मैं सम्भला हूं फिसला भी हूं
     गिर - गिर कर फिर उठा हूं।

    मैं एक मर्म हूं जीवन का दर्द भी हूं
    बिंदास बोल का एक उदहारण हूं।

    मैं एक कामना हूं किसी की मनोकामना भी हूं
    सिसकती जिंदगी का एक व्यंग हूं।

    मैं एक सेवक हूं एक मेवक भी हूं
    समय पड़ने पर दंड देवक हूं।

    मैं एक पावक हूं एक धावक भी हूं
    समय पडने पर साधक हूं। 

    मैं ब्रह्म हूं बुद्धि का अभीष्ट अंग हूं
    जीवन की कटी पतंग हूं। 


                                  -अजीत सिन्हा (स्व रचित) 

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