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    RSS का बढ़ता प्रभाव

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ क्या है, आजकल हर जगह हर स्थान पर चर्चा है, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को आखिर क्यों लोग जानना चाहते है? आइए आज इस विषय पर कुछ चर्चा करते है....
    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की जो भाषा है वो आजकल की है भाषा है, लेकिन उसमे जो भाव है वह बहुत ही अलौकिक है, यह हजारों वर्षों पूर्व से चली आ रही परम्परा को उजागर करती है, इसे हम हिंदू परम्परा भी कह सकते है जो हिन्दुत्व के रीति रिवाजों और परंपराओं को सदैव उजागर करती है।
    अगर आप कभी किसी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक से मिले हों तो उनके अभिवादन शैली से लेकर उनके बात समाप्त करने की शैली में भारतीय समाज के ही तत्व प्रदर्शित होते है।
    आजकल के हाय, हेलो कि जगह प्रणाम,नमस्कार, राम राम, भाई साहब जैसे शब्दों की लोक प्रियता प्रदर्शित होती है।
    अधिक से अधिक लोगो तक आरएसएस की बातो का आसानी से पहुंचने की जो दूसरी वजह समझ में आती है वह है उसकी शैली यानी की उनके बातचीत करने का तरीका....संघ के प्रचारक जब किसी आयोजन में अपनी बात कह रहे होते है तो लगता है जैसे कोई भव्य कथा सुनाई जा रही हो।
    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने दरअसल धार्मिक कथाओं की वही दमदार शैली अपनाई है और उसे विकसित किया है।
    कार्यकर्ताओं की यह शैली अगर इतिहास उठा कर देखा जाए तो मदन मोहन मालवीय जी से प्रेरित होकर यह कथा शैली कार्यकर्ताओं ने अपनाई थी, मदन मोहन मालवीय जी का एक बहुत ही अच्छा श्लोक प्रचलित रहा है- जहां हर गांव में कथा हो, हर गांव में पाठशाला हो,हर गांव में अखाड़ा हो।
    लोगो से संवाद करने की संघ की जो शैली है वह बहुत ही आकर्षक प्रतीत होती आई है।

    अगर देखा जाए तो एक तीसरा कारण भी बहुत बढ़िया है जिसे देखकर हर किसी मन आरएसएस से जुड़ने का हो जाता है और वह है सेवा भाव।
    जब कभी भी हमारे राष्ट्र पर कोई विपत्ति आती है जैसे अकाल,भूकंप, बाढ़, कोरोना आदि तो आरएसएस अपने कार्यकर्ताओं के साथ सेवा कार्य में लगा हुआ दिखाई देता है। संघ के सेवा कार्य का दूसरा स्तर भी दिखाई देता है, समाज से वंचित एवम् उपेक्षित लोगो के बीच कई तरह के सेवा कार्य एवम् सहायता कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
    संघ की सेवा भाव का तीसरा स्तर मेलों में रोगों के इलाज के लिए निशुल्क सेवा कैंप लगाना। 
    अभी प्रयागराज में आरएसएस के द्वारा पिछले दिनों में हुए महाकुंभ में आंख के रोगियों के लिए विशाल सेवा कैंप "नेत्र कुंभ" लगाया गया था।
    संघ इस तरह के सेवा कार्यों को होना किसी प्रचार प्रसार के करता है ऐसे काम वह लगातार करता रहता है।
    इस तरह देखें तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने बातचीत की ऐसी भाषा और शैली बना रखी है जो लोगों को भारतीय संस्कृति और सभ्यता की याद दिला देती है।
    कार्यकर्ताओं के कार्य करने का एक ऐसा तरीका बना रखा है जो लोगो को मजबूती के साथ संघ के साथ जोड़े रखती है और इसी कारण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

                                         By Nishant Srivastav

         

    19 टिप्पणियाँ

    Thank You for giving your important feedback & precious time! 😊

    1. अत्यधिक सुंदर लेख.......🚩🚩🚩🚩

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