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    लोकतंत्र हुआ शर्मसार

    भारतीय लोकतंत्र की चर्चा विश्व पटल पर हमेशा होती आई है ऐसे में अगर विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र लोकतांत्रिक गतिविधियां ना करें तो विश्व का विश्वास उठ जाएगा जहां आज के इस युग में हम लोकतंत्र को मजबूत करने में लगे हुए हैं वही भारतीय लोकतंत्र सिकुड़ता हुआ दिख रहा है इसकी वजह साफ है कि यहां सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने मूल्य से भटक गए हैं बीते दिनों संसद का मॉनसून सत्र जिस तरीके से चल रहा है यह दर्शाता है कि आज भारतीय लोकतंत्र की स्थिति क्या है सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या सरकार विपक्ष को बोलने नहीं देती यह विपक्ष सरकार को घेर नहीं पा रही है। बीते दिनों तथ्यात्मक चर्चा को छोड़कर विपक्ष ने पेगासस नामक सॉफ्टवेयर की लेनदेन पर सत्ता पक्ष से प्रश्न पूछना चाहा अब सरकार को यह लगता है कि यह प्रश्न तथ्यात्मक नहीं है और सरकार की इस पर जवाब नहीं देगी सरकार का यह भी बड़ा आरोप है कि कोरोना जैसे संगीन मामलों को छोड़कर विपक्ष बिना तथ्य की बातें कर रहा है वहीं दूसरी तरफ विपक्ष का दावा है कि हम संसद में सर्वप्रथम पेगासस पर चर्चा करना चाहते हैं अगर सरकार का मन साफ है तो वह इससे पीछे क्यों हट रही है बीते दिनों लोकसभा अध्यक्ष माननीय ओम बिरला ने भी संसद के सदस्यों को चेतावनी दी कि यदि वे संसद की गरिमा को ठेस पहुंच आएंगे तो उन्हें उनके ऊपर कार्यवाही करनी पड़ेगी यही हाल राज्यसभा का है राज्यसभा में भी विपक्ष आए दिन हल्ला गुल्ला करता रहता है जिससे विश्व में भारत की लोकतांत्रिक छवि खराब हो रही है सरकार को चाहिए कि विपक्ष के साथ बातचीत करके इस मुद्दे पर हल निकाले अन्यथा सदन को स्थगित हो ही रहा है कामकाज ठप पड़ा है सात से आठ प्रतिशत की गति से लोकसभा और राज्यसभा में कार्य क्षमता है यह एक सशक्त लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।



                                               By Vatsalya Sarthi

    1 टिप्पणियाँ

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